Saturday, November 3, 2012

उसी की तरहा मुझे सारा ज़माना चाहे

उसी की तरहा मुझे सारा ज़माना चाहे ,
वो मेरा होने से ज्यादा मुझे पाना चाहे ?.

मेरी पलकों से फिसल जाता है चेहरा तेरा ,
ये मुसाफिर तो कोई और ठिकाना चाहे .

एक बनफूल था इस शहर में वो भी ना रहा,
कोई अब किस के लिए लौट के आना चाहे .

ज़िन्दगी हसरतों के साज़ पे सहमा-सहमा,
वो तराना है जिसे दिल नहीं गाना चाहे .

हम अपने आप से कुछ इस तरह हुए रुखसत,
साँस को छोड़ दिया जिस तरफ जाना चाहे .

सुनो तुम मान जाओ ना

सुनो तुम मान जाओ ना,
हमें अब यूँ सताओ ना।
तुम्हारे बिन हमें जीना,
गवारा अब नहीं होता।
तुम्हें कैसे कहूँ, तुम बिन,
गुजारा अब नहीं होता।

 हमें अपना बना लो तुम,
तुम्हारा बन के रहना है।
मुझे दुःख हिज्र का जानम,
नहीं अब और सहना है।
कई सपने सजाये हैं,
अब इनमें रंग भर दो ना।
तुम्हें मेरी कसम जानाँ,
तुम मेरे संग चल दो ना।
मुझे अब और रुलाओ ना,
सुनो तुम मान जाओ ना।