Monday, May 27, 2013

तुम्हारे दर्द में देखो तुम्हारा कौन बनता है

यहाँ खामोश नज़रों का नज़ारा कौन बनता है,
बहुत गहरे समुन्दर का किनारा कौन बनता है।
चलो हम देखते हैं, खुद को अब बरबाद करके भी,
के इन बरबादियों में भी, हमारा कौन बनता है।
कोई शीशा अगर टूटे तो वापस जुड़ नहीं सकता,
मोहब्बत में फ़ना होकर दोबारा कौन बनता है।
चलो फिर आजमा लो तुम, सभी अपने प्यारों को,
तुम्हारे दर्द में देखो तुम्हारा कौन बनता है ।

Thursday, May 23, 2013

शाम से आँख में नमी सी है

शाम से आँख में नमी सी है,
आज फ़िर आपकी कमी सी है,
दफ़न कर दो हमें की साँस मिले,
नब्ज़ कुछ देर से थमी सी है,
वक्त रहता नहीं कहीं छुपकर,
इसकी आदत भी आदमी सी है,
कोई रिश्ता नहीं रहा फ़िर भी,
एक तस्लीम लाज़मी सी है,

उसे मैंने ही लिखा था

उसे मैंने ही लिखा था, कि
लहजे बर्फ हो जायें ,
तो फिर पिघला नहीं करते,
परिंदे डर के उड़ जायें,
तो फिर लौटा नहीं करते,
उसे मैंने ही लिखा था,
यकीं उठ जाये तो, शायद
कभी वापस नहीं आता,
हवाओं का कोई तूफां,
कभी बारिश नही लाता,
उसे मैंने ही लिखा था, कि
शीशा टूट जाये तो,
कभी फिर जुड़ नही पाता,
जो रस्ते से भटक जाये,
वो वापस मुड़ नहीं पाता
उसे कहना वो बेमानी, अधूरा ख़त,
उसे मैंने ही लिखा था,
उसे कहना की दीवाने,
मुकम्मल ख़त नहीं लिखते। 

Sunday, May 19, 2013

जुदा होना भी पड़ता है

जुदा होने के मौसम में, जुदा होना भी पड़ता है,
जिसे मुश्किल से पाया हो, उसे खोना भी पड़ता है।
खुदी पे मान इतना है, कभी मुड़कर नहीं देखा,
जिसे कह दूँ कि मेरा है, उसे होना भी पड़ता है।
अभी तो फसल-ए-गुल हो,  मिसल-ए-गुल हो जेहन में रखना,
कि जब वक्त-ए-खिजा आये, तो फिर रोना भी पड़ता है।
मुझे नींदें नहीं भातीं, कि मिसल-ए-मार्ग होती हैं,
मगर इक ख्वाब के लालच में, फिर सोना भी पड़ता है।
हमेशा हँसता रहता हूँ छुपा के ग़म ज़माने से,
मगर जब नाम तेरा आये, तो रोना भी पड़ता है।

Friday, May 17, 2013

नया दर्द एक दिल में जगा कर चला गया

नया दर्द एक दिल में जगा कर चला गया
कल फिर वो मेरे शहर में आ कर चला गया

जिसे ढूँढ़ते रहे हम लोगों की भीड़ में
मुझसे वो अपने आप को छुपा कर चला गया

मैं उसकी खामोशी का सबब पूछता रहा
वो किस्से इधर उधर के सुना कर चला गया

ये सोचता हूँ के मैं कैसे भुलाऊंगा अब उसे
उस शक्स को जो मुझको पल भर में भुला कर चला गया|

कैसे कोई छुपाये आंसू

कैसे कोई छुपाये आंसू
आखिर आँख में आये आंसू

तुझको ये मालूम नहीं
कितने रात बहाए आंसू

दर्द की लज़्ज़त और बढ़ी
जब आंसू में मिलाए आंसू