Thursday, May 23, 2013

शाम से आँख में नमी सी है

शाम से आँख में नमी सी है,
आज फ़िर आपकी कमी सी है,
दफ़न कर दो हमें की साँस मिले,
नब्ज़ कुछ देर से थमी सी है,
वक्त रहता नहीं कहीं छुपकर,
इसकी आदत भी आदमी सी है,
कोई रिश्ता नहीं रहा फ़िर भी,
एक तस्लीम लाज़मी सी है,

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