
उसने कहा, "तुम में पहले सी बात नहीं"
मैंने कहा, "इंसान हूँ, Science की कोई ईजाद नहीं"
उसने कहा. "अब भी किसी की आँखों में डूब जाते हो?"
मैंने कहा, " पागल हो क्या, आँखें हैं कोई तालाब नहीं"
उसने कहा, " क्यूँ टूट के चाहा था मुझे इतना?"
मैंने कहा, "दिमाग से पैदल था जिसका कोई हिसाब नहीं"
उसने कहा, "क्या में बेवफा हूँ?"
मैंने कहा, "तुम इतनी धोखेबाज़ हो जिसका कोई हिसाब नहीं"
उसने कहा, "भूल जा मुझको"
मैंने कहा, "अबे, तू है कौन, मुझे तो ये भी याद नहीं"
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