Saturday, June 29, 2013

मोहब्बत कम नहीं होती

किसी के पास आने से, या किसी के दूर जाने से,
मोहब्बत कम नहीं होती किसी को आजमाने से,
जिन्हें हम याद रखते हैं वो हम को भूल जाते हैं,
नहीं होता असर इन पर अब अश्कों को बहाने से,
दिल-ए-बेताब में सूरत तेरी ऐसी सजल है,
कभी मिट नहीं सकती किसी के मिटाने से,
बिछड़ना था मुक़द्दर में, किसी से क्या गिला मगर,
नहीं शिकवा मुक़द्दर से, ना शिक़वा है ज़माने से,
अँधेरी रात है बारिश है और मैं भी तन्हा हूँ,
नहीं हासिल होगा अब इस क़दर दिल जलाने से ।

माटी की कच्ची गागर को क्या खोना क्या पाना बाबा

माटी की कच्ची गागर को क्या खोना क्या पाना बाबा,
माटी को माटी है रहना, माटी में मिल जाना बाबा |

हम क्या जानें दीवारों से कैसे धूप उतरती होगी,
रात रहे बहार जाना है, रात गए घर आना बाबा |

जिस लकड़ी को अन्दर-अन्दर दीमक बिलकुल चाट चुकी हो,
उसको ऊपर चमकाना, राख पे धूप जमाना बाबा |

प्यार की गहरी फुन्कारों से सारा बदन आकाश हुआ है,
दूध पिलाना तन डसवाना, है दस्तूर पुराना बाबा |

इन ऊँचे शहरों में पैदल सिर्फ़ दिहाती ही चलते हैं,
हमको बाज़ारों से इक दिन काँधे पर ले जाना बाबा |  ~ बशीर बद्र

कभी आना तो हल्का सा इशारा देना

कभी अाना तो हल्का सा इशारा देना,
कभी शाम, कभी आँचल का किनारा देना,
मैं अगर डूब के उभरूँ तो सहारा देना,
तेरा उल्फत मैं मुकम्मल हूँ हर पहलू से,
मुझे दर्द भी देना तो सारा देना,
मैं तुझे ग़म के समुन्दर में किनारा दूँगा,
तू मुझे हिज्र के तूफाँ में सितारा देना,
मैं तेरी याद के सेहरा में कहीं रहता हूँ,
कभी आना तो हल्का सा इशारा देना।

Monday, June 24, 2013

कोई रास्ता नही है

इस आरज़ू से आगे,
कोई रास्ता नही है,
तुम्हें किस क़दर है चाहा,
तुम्हें ये पता नहीं है।
कोई पल बिना तुम्हारे,
भला कैसे बीत जाये,
मेरे पास तुम नहीं हो,
मेरे पास कुछ नहीं है।
मेरी हर दुआ का मेहबर,
बस एक आरज़ू तुम्हारी,
इस आरज़ू से आगे,
कोई रास्ता नहीं है ।