Saturday, June 29, 2013

मोहब्बत कम नहीं होती

किसी के पास आने से, या किसी के दूर जाने से,
मोहब्बत कम नहीं होती किसी को आजमाने से,
जिन्हें हम याद रखते हैं वो हम को भूल जाते हैं,
नहीं होता असर इन पर अब अश्कों को बहाने से,
दिल-ए-बेताब में सूरत तेरी ऐसी सजल है,
कभी मिट नहीं सकती किसी के मिटाने से,
बिछड़ना था मुक़द्दर में, किसी से क्या गिला मगर,
नहीं शिकवा मुक़द्दर से, ना शिक़वा है ज़माने से,
अँधेरी रात है बारिश है और मैं भी तन्हा हूँ,
नहीं हासिल होगा अब इस क़दर दिल जलाने से ।

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