के जिनसे खायी चोट, दिल ने उनसे गिला नहीं किया,
दुआ है कि हमारी तरह, ना कभी उनका दिल टूटे|
हमें तो चोट खाने की आदत सी है लेकिन,
कभी होठों से उनके,हंसी का दामन ना छूटे|
जिन्होंने सितम करने में,न छोड़ी है कसार कोई,
खुदाया उनपे कभी भी, ना कोई सितम टूटे |
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