हम जो हर वक़्त यूं ही मुस्कुराते रहते हैं,
इस तरह दर्द को दुनिया से छुपाते रहते हैं,
भूल के भी किसी से दिल की बात न कहना यहाँ,
लोग यहाँ ज़ख्मों पर तीर चलते रहते हैं|
अपना समझा के जिसको भी हमराज़ बनाया दिल ने,
उसके ही हाथों से हम चोट खाते रहते हैं,
अब तो आसमान से भी पत्त्थर बरसते हैं सिर पे,
रोज डर डर के हम घर से निकला करते हैं,
अब तो ये दिल रोज़ ही बारिश कि दुआ करता है, क्यूंकि
पहचान में नहीं आते आंसू, जो बारिश में बहते हैं |
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