सफ़र की हद है वहां तक के कुछ निशाँ रहे
चले चलो के जहाँ तक ये आसमान रहे|
ये क्या, उठाये क़दम और आ गई मंजिल
मज़ा तो जब है के पैरों में कुछ थकान रहे|
वो शख्स मुझ को कोई जालसाज़ लगता है
तुम उस को दोस्त समझते हो, फिर भी ध्यान रहे|
मुझे ज़मीन की गहराइयों ने दाब लिया
मैं चाहता था मेरे सर पे आसमान रहे|
अब अपने बीच मरासिम नहीं अदावत है
मगर ये बात हमारे ही दरमियान रहे|
मगर सितारों की फसलें उगा सका न कोई
मेरी ज़मीन पे कितने ही आसमान रहे|
वो एक सवाल है फिर उस का सामना होगा
दुआ करो के सलामत मेरी ज़बान रहे|
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