जो ना हुआ कभी, वो एक रात हो गया|
चाँद को सूरज से प्यार हो गया||
चाँद निकला तलाश में और खो गया,
चाँद के जाते ही आसमान उदास हो गया||
सूरज तो जलता ही रहा इंतज़ार में और आग हो गया|
सूरज की खता से चाँद के लिए अँधेरा हो गया||
चाँद ने की बेवफाई और तारों के saath हो गया|
सिला मिला कुछ इस तरह दोनों पे ग्रहण हो गया||
करते रहे बेरुखी हमेशा के लिए,
एक बन गया din और दूसरा रात हो गया||
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