Saturday, November 19, 2011

एक कहानी मेरी जुबानी वो मुझसे बहुत प्यार करती थी

एक कहानी मेरी जुबानी
वो मुझसे बहुत प्यार करती थी
पर हमेशा इज़हार से कतराती थी
इस बात की खबर तो मुझे थी मगर
कभी दिलचस्पी नहीं दिखाई मैंने ...

हाल-फिलहाल हम फिर टकराए
वो मेरे बारे में मुझसे ही पूछने लगी
मगर कुछ घुमा फिराकर
मेरे नाम को थोड़ा सा बदलकर
हल्के से आँखें चुराकर
सारे माज़ी के दामन छुडाकर ...
मैं भी अनजान बना रहा
अपनी जगह अडिग तना रहा
उसे खुद पे ही शक होने लगा
शायद कोस रही थी खुद को
यकीन था उसे कि कुछ पता नहीं मुझको
सोचती होगी कि उसके प्यार से बेखबर हूँ मैं
उस के जज्बातों और हसरतों के बे-कद्र हूँ मैं

पहला प्यार था मैं उसका
मगर वो मेरे माज़ी का हिस्सा कभी नहीं बनी :-)
बचपन के प्यार को लोग संजीदगी से नहीं लेते
मगर पहला प्यार को कभी भूल भी नहीं पाते !!!

ये अच्छा हुआ कि उसने अब भी इज़हार नहीं किया
वरना इनकार करते मुझे बड़ी तकलीफ होती
यूँ तो उसने मेरा इंतज़ार भी नहीं किया
फिर क्या बुरा जो मैंने इकरार न किया !!!

उदास होकर वो फिर जुदा हो गयी
मुझमें फिर से उसे दिलासा देने का ख्याल उमड़ आया
बात करना चाहा मगर वो यही सोचती रही कि मैं संगदिल हूँ
खामोश हो गयी वो ... चलो कोई बात नहीं
शायद फिर से कोई बात चले
दिल में उनके वही जज़्बात पले
मगर मैं कहना चाहता था - "बेसबब बात बढ़ाने की ज़ुरूरत क्या है"
और वो सोचती रही कि "बात निकलेगी तो फिर दूर तलक जायेगी" !
खैर, अब जो कुछ भी हो मगर उसकी मोहव्बत मुक़म्मल है
पहला प्यार भी और आख़री भी ...
-रणजीत
[https://www.facebook.com/ranjeet.dutta1/posts/10150503144859546]

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