Sunday, December 9, 2012

तुम मुझे याद आया करते हो

किस क़दर ज़ुल्म ढाया करते हो,
ये जो तुम भूल जाया करते हो।

किस का अब हाथ रख के सीने पर,
दिल की धड़कन सुनाया करते हो।
हम जहाँ चाय पीने जाते थे,
क्या वहाँ अब भी आया करते हो?
कौन है अब, के जिसके चेहरे पर,
अपनी पलकों का साया करते हो।
क्यूँ मेरे दिल में रख नहीं देते,
किस लिए ग़म उठाया करते हो?
फ़ोन पर गीत जो सुनते थे,
अब वो किसको सुनाया करते हो?
आखरी ख़त में तुमने लिखा था,

 तुम मुझे याद आया करते हो।

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