Sunday, December 9, 2012

अपने ही हाथो से निकल जाओगी जाना

पत्थर हो शबनम में बदल जाओगी जाना,
हमें जो छु लिया तो पिघल जाओगी जाना|

इस राह-ए-मोहब्बत में बहकते हैं सभी लोग,
थामो हमारा हाथ संभल जाओगी जाना|

तुम गैर से मिली हो, हमने तो सह लिया,
हम गैर से मिलेंगे तो जल जाओगी जाना|

उन प्यार के लम्हों में ये सोचा भी नहीं था,
मौसम की तरह तुम भी बदल जाओगी जाना|

ये रिश्ता जो टूटा तो मर जायेंगे हम तो,
तुम को तजुर्बा है, संभल जाओगी जाना|

अपनी नरम हथेलियों पे लिख लो मेरा नाम,
पढ़ना उदासियों में बहल जाओगी जाना|

'सतलज' से किसी हाल में आँखें न मिलाना,
तुम अपने ही हाथो से निकल जाओगी जाना|

--सतलज राहत

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