ग़म-ए-जिंदगी तेरी राह में,
सभी आरजू तेरी चाह में,
जो उजड़ गया वो बसा नहीं,
जो बिछड़ गया वो मिला नहीं,
जो दिल-ओ-नज़र का सुरूर था,
मेरे पास रह के भी दूर था,
वही एक गुलाब उम्मीद का,
मेरी शाख़-ए-जान पे खिला नहीं,
मेरा हमसफ़र जो अजीब है,
सभी आरजू तेरी चाह में,
जो उजड़ गया वो बसा नहीं,
जो बिछड़ गया वो मिला नहीं,
जो दिल-ओ-नज़र का सुरूर था,
मेरे पास रह के भी दूर था,
वही एक गुलाब उम्मीद का,
मेरी शाख़-ए-जान पे खिला नहीं,
मेरा हमसफ़र जो अजीब है,
तो मैं भी अजीबतर,
उसे मंजिलों की खबर नहीं,
मुझे रास्तों का पता नहीं,
पास-ए-कारवाँ, सर-ए-रहगुजर,
मैं हारा हूँ तो इसलिए,
के क़दम तो सब मिला गये ,
मेरा दिल किसी से मिला नहीं।
उसे मंजिलों की खबर नहीं,
मुझे रास्तों का पता नहीं,
पास-ए-कारवाँ, सर-ए-रहगुजर,
मैं हारा हूँ तो इसलिए,
के क़दम तो सब मिला गये ,
मेरा दिल किसी से मिला नहीं।
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