
जो लहरों से आगे नजर देख पाती तो तुम जान लेते कि में क्या सोचता हूँ|
वो आवाज जो तुमको भी भेद जाती, तो तुम जान लेते कि में क्या सोचता हूँ||
जिद का तुम्हारे जो पर्दा सरकता, खिडकियों से आगे भी तुम देख पते|
आँखों से आदतों कि जो पलकें हटाते, तो तुम जान लेते कि में क्या सोचता हूँ||
मेरी तरह होता अगर खुद पर जरा भरोसा, तो कुछ दूर तुम भी साथ साथ आते|
रंग मेरी आँखों का बाँटते जरा सा, तो कुछ दूर तुम भी साथ साथ आते|| - उड़ान
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