
बिन तुम्हारे अब तो हर आस मिट रही है,
जैसे जिंदगी अंधेरों में सिमट रही है|
रह रहकर धड्कनें मुझे रुला रही हैं,
आओ, लौट आओ मेरी सदाएं तुम्हें बुला रही हैं|
अगर अब भी तुम न आये तो में चली जाउंगी,
फिर शायद कभी तुम्हें ना मिल पाऊँगी|
इन वादियों से मेरे नाम की भी आवाज आ रही है,
जो हर पल मेरी सांसों को खींचती जा रही है|
आओ, लौट आओ मेरी सदाएं तुम्हें बुला रही हैं|
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