Tuesday, January 3, 2012

इस दीवानेपन की लौ में

इस दीवानेपन की लौ में, धरती अम्बर छूट गया,
आँखों में जो लहरा था, वो आँचल पल में छूट गया|
टूट गयी बांसुरी और हम बने द्वारिकाधीश मगर,
अपना गोकुल बिछड़ गया और गाँव, गली घर छूट गया|| ~ डॉ. कुमार विश्वास

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