Thursday, June 30, 2011

भले दिनों की बात थी, भली सी एक शक्ल थी


भले दिनों की बात थी, भली सी एक शक्ल थी
ना ये कि हुस्ने ताम हो, ना देखने में आम सी|      [हुस्न ताम - पूरा शबाब]

ना ये कि वो चले तो कहकशां सी रहगुजर लगे    [कहकशां - आकाशगंगा]
मगर वो साथ हो तो फिर भला भला सफ़र लगे|

कोई भी रुत हो उसकी छब, फ़जा का रंग रूप थी
वो गर्मियों की छांव थी, वो सर्दियों की धूप थी|

ना मुद्दतों जुदा रहे, ना साथ सुबहो शाम हो
ना रिश्ता-ए-वफ़ा पे ज़िद, ना ये कि इज्ने आम हो|    [इज्ने आम - सभी को इजाजत]

ना ऐसी खुश लिबासियां, कि सादगी हया करे
ना इतनी बेतकल्लुफ़ी, की आईना हया करे|      [हया - शर्म]

ना इखतिलात में वो रम, कि बदमजा हो ख्वाहिशें    [इखतिलात - दोस्ती,   रम - वहशत]
ना इस कदर सुपुर्दगी , कि ज़िच करे नवाजिशें|

ना आशिकी ज़ुनून की, कि ज़िन्दगी अजाब हो
ना इस कदर कठोरपन, कि दोस्ती खराब हो|

कभी तो बात भी खफ़ी, कभी सुकूत भी सुखन         [खफ़ी - छिपी हुई, चुप्पी]
कभी तो किश्ते ज़ाफ़रां, कभी उदासियों का बन|    [किश्ते ज़ाफ़राँ - केसर की क्यारी]

सुना है एक उम्र है, मुआमलाते दिल की भी
विसाले-जाँफ़िजा तो क्या, फ़िराके-जाँ-गुसल की भी|    
[विसाले जाँफ़िजा - प्राणवर्धक मिलन, फ़िराके जाँ गुसिल - प्राण घातक दूरी]

सो एक रोज क्या हुआ, वफ़ा पे बहस छिड़ गई
मैं इश्क को अमर कहूं , वो मेरी ज़िद से चिढ़ गई|

मैं इश्क का असीर था, वो इश्क को कफ़स कहे      [असीर - कैदी, कफ़स - पिन्जरा, कैद खाना]
कि उम्र भर के साथ को, वो बदतर अज़ हवस कहे|   [अज हवस - हवस से भी खराब]

शजर हजर नहीं कि हम, हमेशा पा ब गिल रहें    [शजर - पेड, हजर - पत्थर,  पा-ब-गिल - विवश]
ना ढोर हैं कि रस्सियां, गले में मुस्तकिल रहें|   [मुस्तकिल - लगातार]

मोहब्बतें की वुसअतें, हमारे दस्तो पा में हैं      [वुसअतें - लम्बाई/ चौड़ाई,  दस्तो-पा - हाथ/ पैर
बस एक दर से निस्बतें, सगाने-बावफ़ा में हैं|   [निस्बतें - संबन्ध,  सगाने-बावफ़ा - वफ़ादार कुत्ते]

मैं कोई पेन्टिंग नहीं, कि एक फ़्रेम में रहूं
वही जो मन का मीत हो, उसी के प्रेम में रहूं|

तुम्हारी सोच जो भी हो, मैं उस मिजाज की नहीं
मुझे वफ़ा से बैर है, ये बात आज की नहीं|

न उसको मुझपे मान था, न मुझको उसपे ज़ोम ही    [ज़ोम - गुमान]
जो अहद ही कोई ना हो, तो क्या गमे शिकस्तगी|   [अहद - वचन बद्धता,  गमे शिकस्तगी - टूटने का गम]

सो अपना अपना रास्ता, हंसी खुशी बदल दिया
वो अपनी राह चल पड़ी, मैं अपनी राह चल दिया|

भली सी एक शक्ल थी, भली सी उसकी दोस्ती
अब उसकी याद रात दिन, नहीं, मगर कभी कभी|

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