कोई दीवार रहने दो,
फ़क़त इज़हार रहने दो,
सफ़र में साथ चलकर भी,
मुझे इस पार रहने दो,
ना आँखों में सजाओ तुम,
ना मुझको ख़ाक होने दो,
ना तरसें तुम्हारी कुर्बत को,
मुझे बे-बाक रहने दो।
मुझे असआर में लिखो,
मगर न गुनगुनाओ तुम,
किताबों में कहीं रखकर,
मुझे फिर भूल जाओ तुम,
सुनो तुमसे ये कहना है,
सफ़र में धूल होने तक,
कोई भी भूल होने तक,
मुझे तुम माँग लेना बस,
दुआ मक़बूल होने तक |
फ़क़त इज़हार रहने दो,
सफ़र में साथ चलकर भी,
मुझे इस पार रहने दो,
ना आँखों में सजाओ तुम,
ना मुझको ख़ाक होने दो,
ना तरसें तुम्हारी कुर्बत को,
मुझे बे-बाक रहने दो।
मुझे असआर में लिखो,
मगर न गुनगुनाओ तुम,
किताबों में कहीं रखकर,
मुझे फिर भूल जाओ तुम,
सुनो तुमसे ये कहना है,
सफ़र में धूल होने तक,
कोई भी भूल होने तक,
मुझे तुम माँग लेना बस,
दुआ मक़बूल होने तक |
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