अब अगर आओ, तो जाने के लिए मत आना,
सिर्फ एहसान जताने के लिए मत आना,
मैंने पलकों पे तमन्नायें सजा रक्खी हैं,
दिल पर उम्मीद की सौ रस्में जला रक्खी हैं,
ये हसीं शामें बुझाने के लिए मत आना,
प्यार की आग में जंजीर पिघल सकती हैं,
चाहने वालों की तकदीरें बदल सकती हैं,
हूँ बेबस ये बताने के लिए मत आना,
मुझसे मिलने की अगर तुमको नहीं चाहत कोई,
तुम सिर्फ रस्में निभाने के लिए मत आना
सिर्फ एहसान जताने के लिए मत आना,
मैंने पलकों पे तमन्नायें सजा रक्खी हैं,
दिल पर उम्मीद की सौ रस्में जला रक्खी हैं,
ये हसीं शामें बुझाने के लिए मत आना,
प्यार की आग में जंजीर पिघल सकती हैं,
चाहने वालों की तकदीरें बदल सकती हैं,
हूँ बेबस ये बताने के लिए मत आना,
मुझसे मिलने की अगर तुमको नहीं चाहत कोई,
तुम सिर्फ रस्में निभाने के लिए मत आना
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