Thursday, August 15, 2013

कोई ढूँढ ऐसा हमसफ़र

कोई ढूँढ ऐसा हसफ़र,
जिसे तू  अपना बना सके,
तू कहे कि रात है, और,
वो चाँदनी लुटा सके,
तेरे आंसुओं को समेट ले,
के कोई न तुझको रुला सके,
तेरी राह में जो हों मुश्किलें,
अपनी पलकों से हटा सके,
तुझे रख ले अपने हिस्से में,
कि तुझको ना कोई चुरा सके,
वो हो तेरे इतना करीब के,
किसी और की याद ना आ सके,
कोई ढूँढ ऐसा हमसफ़र।।।

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