मैं लफ़्ज़ों में कुछ भी इज़हार नहीं करता,
इस का मतलब ये नहीं की मैं तुझे से प्यार नहीं करता|
चाहता हूँ मैं तुझे आज भी पर,
बस तेरी सोच में वक़्त अब अपना बर्बाद नहीं करता|
तमाशा न बन जाये कहीं मुहब्बत मेरी,
इस लिए बस अपने दर्द का इज़हार नहीं करता|
जो कुछ मिला है उसी में खुश हूँ मैं अब,
तेरे लिए खुदा से तकरार नहीं करता|
पर कोई तो बात है तेरी "फितरत" में ज़ालिम,
वरना मैं तुझे चाहने की खता बार-बार नहीं करता|
इस का मतलब ये नहीं की मैं तुझे से प्यार नहीं करता|
चाहता हूँ मैं तुझे आज भी पर,
बस तेरी सोच में वक़्त अब अपना बर्बाद नहीं करता|
तमाशा न बन जाये कहीं मुहब्बत मेरी,
इस लिए बस अपने दर्द का इज़हार नहीं करता|
जो कुछ मिला है उसी में खुश हूँ मैं अब,
तेरे लिए खुदा से तकरार नहीं करता|
पर कोई तो बात है तेरी "फितरत" में ज़ालिम,
वरना मैं तुझे चाहने की खता बार-बार नहीं करता|
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