Friday, March 25, 2011

क़ैद-ए-तन्हाई


तूने तो जीना चाहा और किसी का हो के,
आज भी हूँ में तेरी, तन मन अपना खो के,


तेरे मिलन को जाने कितने बरस हैं तरसी,
न कोई सावन आया न कोई बरखा बरसी,(x2)

है तन प्यासा और मन प्यासा,(x2)
रूह भी प्यासी लागे,
क़ैद-ए-तन्हाई, क़ैद-ए-तन्हाई (x2)


तूने तो जीना चाहा और किसी का हो के,
 आज भी हूँ में तेरी, तन मन अपना खो के,

तनहा तनहा, रेज़ा रेज़ा(x2)
दुनिया रोगी लागे,
क़ैद-ए-तन्हाई क़ैद-ए-तन्हाई(x2)

कैसी लगन ये लागी, कैसी अगन ये लागी,
ना तन जागा, ना मन जागा(x2)
ना कोई रैना जागी
क़ैद-ए-तन्हाई क़ैद-ए-तन्हाई (x2)

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