Wednesday, July 27, 2011

मेरे गीतों मेरी ग़ज़लों को रवानी दे दे

मेरे गीतों मेरी ग़ज़लों को रवानी दे दे,
तू मेरी सोच को एहसास का पानी दे दे |

मुद्दतों तुझसे मैं बिछड़ा हूँ मोहबत के लिये,
ख़वाब मैं आ के मुझे याद पुरानी दे दे|

थक गया गर्दिशे दौरां से यह जीवन मेरा ,
मेरे रहबर मुझे मंज़िल की निशानी दे दे|

तेरी आँखों में बिछा रखीं हैं पलकें मैंने ,
अब इन आँखों को मुससर्रत का तू पानी दे दे|

"चाँद" निकला तो चकोरी ने कहा रूठे हुए,
साथ अपने तू मुझे नकले मकानी दे दे|

--चाँद  शुक्ला ’हदियाबादी’

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