हजूम में था वो खुल कर न रो सका होगा
मगर यकीन है के सब भर न सो सका होगा
वो शक्स जिस को समझने में मुझको उम्र लगी
बिछड के मुझसे किसी का न हो सका होगा
लरजते हाथ, शिकस्त सी डोर आंसू की
वो खुश्क फूल कहाँ तक पिरो सका होगा
बहुत उजाड थे पाताल उसकी आँखों के
वो आंसूं से न दामन भिगो सका होगा
मेरे लिए वो कबीले को छोड़ कर आता
मुझे यकीन है ये उस से न हो सका होगा
मगर यकीन है के सब भर न सो सका होगा
वो शक्स जिस को समझने में मुझको उम्र लगी
बिछड के मुझसे किसी का न हो सका होगा
लरजते हाथ, शिकस्त सी डोर आंसू की
वो खुश्क फूल कहाँ तक पिरो सका होगा
बहुत उजाड थे पाताल उसकी आँखों के
वो आंसूं से न दामन भिगो सका होगा
मेरे लिए वो कबीले को छोड़ कर आता
मुझे यकीन है ये उस से न हो सका होगा
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