Wednesday, June 27, 2012

हम नाज़ुक नाज़ुक दिल वाले

हम नाज़ुक नाज़ुक दिल वाले,
कभी हंसते हैं कभी रोते हैं, कभी दिल में ख्वाब
पिरोते हैं|
कभी महफ़िल महफ़िल फिरते हैं, कभी जीत में तनहा होते हैं|
कभी चुप की मोहर सजाते हैं, कभी गीत लबों पे होते हैं|
कभी सब का दिल बहलाते हैं, कभी तन्हाई में रोते हैं|
कभी शब् भर जागते रहते हैं, कभी लम्बी तान के सोते हैं|
सब अपने आप में रहते हैं, हम कौन किसी के होते हैं|
हम नाज़ुक नाज़ुक दिल वाले, 'कुछ इस तरह के होते हैं|

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