तेरा हुस्न हो, मेरा इश्क हो,
तो फिर हुश्न-ओ-इश्क की बात हो|
कभी मैं मिलूँ, कभी तू मिले,
कभी हम मिलें, मुलाक़ात हो|
कभी तू हो चुप, कभी मैं हूँ चुप,
कभी दोनों हम चुप-चाप हों|
कभी गुफ्तुगू कभी तजकरे,
कोई ज़िकर हो कोई बात हो|
कभी साथ मैं, कभी साथ तू,
कभी एक दूजे का साथ हो|
रहें मुस्कुराते प्यार में,
खिलें फूल बन के बहार में,
न ज़मीन कोई, ना फलक कोई,
ना वजूद हो, ना ही जात कोई,
तेरा हुश्न हो, मेरा इश्क हो,
तो फिर हुश्न-ओ-इश्क की बात हो|
कभी दोनों हम चुप-चाप हों|
कभी गुफ्तुगू कभी तजकरे,
कोई ज़िकर हो कोई बात हो|
कभी साथ मैं, कभी साथ तू,
कभी एक दूजे का साथ हो|
रहें मुस्कुराते प्यार में,
खिलें फूल बन के बहार में,
न ज़मीन कोई, ना फलक कोई,
ना वजूद हो, ना ही जात कोई,
तेरा हुश्न हो, मेरा इश्क हो,
तो फिर हुश्न-ओ-इश्क की बात हो|
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