Tuesday, August 2, 2011

हर आरज़ू पे दिल मचलता है

हर आरज़ू पे दिल मचलता है,
हर नींद में इक ख़्वाब पलता है !
वो करीब है इतना
कि उसकी हर सांस का अहसास मेरी हर सांस में होता है,
फिर भी न जाने क्यूँ-
उसे हासिल करना अब भी इक ख़्वाब ही लगता है,
पर ये दिल तो दिल है जो, अब भी हर आरज़ू पे मचलता है !!

-- Ankita Jain (Bhandri)
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