Monday, August 15, 2011

कुछ दिन पहले मोहब्बत को सपना समझा हमने

कुछ दिन पहले मोहब्बत को सपना समझा हमने,
मोहब्बत हुयी, मोहब्बत को अपना समझा हमने|
मोहब्बत में इस क़दर मदहोश हो गए,
इसकी बेवफाई को वफ़ा समझा हमने|
ज़ख्म इस क़दर मोहब्बत ने दिए,
इन ज़ख्मों को फूल समझा हमने|
मोहब्बत की चीख-ओ-पुकार इस क़दर थी,
के आस-पास लोगों के रोने को आसना समझा हमने|
मोहब्बत की शिद्दत में आँखें इस क़दर चौंधिया गयीं,
हर चमकती चीज को सोना समझा हमने|
दीवाना इस क़दर मोहब्बत ने बनाया हमको,
के अपने को बेगाना समझा हमने|
मोहब्बत की यादें दिल पर कुछ यूँ नक्श कर गयीं,
के उनको भुलाने की कोशिश में खुद को भुला दिया हमने||

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