तुझे दिल में बसाना चाहता हूँ
तुझे अपना बनाना चाहता हूँ|
ज़रा भी दूर हो आँखों से जब तू
मैं मिलने का बहाना चाहता हूँ|
मेरी आँखों में है तस्वीर तेरी
जिसे तुझ को दिखाना चाहता हूँ|
जो गहरी झील सी आँखें है तेरी
जो बरसों की है दूरी तुझमें मुझमें
मैं लम्हों में मिटाना चाहता हूँ|
घटा सावन की तू, मैं खेत सूखा
मैं प्यास अपनी बुझाना चाहता हूँ|
ग़मों से उमर भर पाला पड़ा है
मैं अब हँसना-हँसाना चाहता हूँ|
ग़ज़ल है तू मेरी, मैं तेरा शायर
तुझे मैं गुनगुनाना चाहता हूँ|
तुझे अपना बनाना चाहता हूँ|
ज़रा भी दूर हो आँखों से जब तू
मैं मिलने का बहाना चाहता हूँ|
मेरी आँखों में है तस्वीर तेरी
जिसे तुझ को दिखाना चाहता हूँ|
जो गहरी झील सी आँखें है तेरी
मैं इन में डूब जाना चाहता हूँ|
जो बरसों की है दूरी तुझमें मुझमें
मैं लम्हों में मिटाना चाहता हूँ|
घटा सावन की तू, मैं खेत सूखा
मैं प्यास अपनी बुझाना चाहता हूँ|
ग़मों से उमर भर पाला पड़ा है
मैं अब हँसना-हँसाना चाहता हूँ|
ग़ज़ल है तू मेरी, मैं तेरा शायर
तुझे मैं गुनगुनाना चाहता हूँ|
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