ये समंदर भी कितना पास है ...
फिर भी दो बूँद की प्यास है .
...आसमां मिल जाए इस जमीं से ...
आज भी इस बात की आस है.
नहीं पड़ता है फर्क तुझे ...
पर इसी बात से तो तू ख़ास है.
मत कर बात और ना देख मुझे ...
पर रहेगी तू हरपल मेरे पास है.
मुस्कुराता तो मै अब भी हूँ ...
बस लोग कहते मुझे जिन्दा लाश हैं.
झनझनाती तेरी मुस्कराहट आज भी है ...
जो हर मजबूर की ख़ुशी में तेरा वास है.
मुसीबतों से भागता हूँ नहीं मै अब ...
क्यूंकि तेरी यादों का साथ मेरे पास है.
गर जान लिया होता मैंने जो पहले तुमको
तो ना कहता जिन्दगी भर बस ये "काश" है|Author: Narendra Kumar alias 'Nandy'
No comments:
Post a Comment