Friday, January 21, 2011

कल याद बहुत तुम आये थे...


कल हल्की हल्की बारिश थी,
कल सर्द हवा का रक्स भी था|
कल फूल भी निखरे निखरे थे,
कल उनमें आपका अक्स भी था|
...कल बादल गहरे काले थे,
कल चाँद पे लाखों पहरे थे|
कुछ टुकड़े आपकी यादों के,
बड़ी देर से दिल में ठहरे थे|
कल यादें उलझी उलझी थी,
और कल तक ये न सुलझी थीं|
कल याद बहुत तुम आये थे,
कल याद बहुत तुम आये थे......

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