इतना तो मेरे हाल पर एहसान किया कर,
खून से मेरा दर्द पहचान लिया कर |
कोई साथ दे सफ़र में, बहुत थक गया हूँ मैं,
कुछ पल हूँ तेरे साथ, मेरी मान लिया कर|
अफ़साने मोहब्बत के अधूरे कभी न छोड़,
हर जुर्म-ए-वफ़ा का मुझसे बयान लिया कर|
मुद्दत हुयी है इस आस पर ठहरे हुए हैं हम,
भूले से ही, तू भी मेरा नाम लिया कर|
तू अपनी जात से वाबस्ता कर मुझे,
होकर खफा यूँ मुझसे ना मेरी जान लिया कर||
खून से मेरा दर्द पहचान लिया कर |
कोई साथ दे सफ़र में, बहुत थक गया हूँ मैं,
कुछ पल हूँ तेरे साथ, मेरी मान लिया कर|
अफ़साने मोहब्बत के अधूरे कभी न छोड़,
हर जुर्म-ए-वफ़ा का मुझसे बयान लिया कर|
मुद्दत हुयी है इस आस पर ठहरे हुए हैं हम,
भूले से ही, तू भी मेरा नाम लिया कर|
तू अपनी जात से वाबस्ता कर मुझे,
होकर खफा यूँ मुझसे ना मेरी जान लिया कर||
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