Tuesday, May 10, 2011

जब तक आंसू न बहे, दिल को न आराम आया

डबडबा आयी वो ऑंखें जो मेरा नाम आया
इश्क नाकाम सही फिर भी बहुत काम आया

लज्ज़त-ऐ-मर्ज-ऐ-मोहब्बत कोई उस से पूछे
जिसके लब पर दम-ऐ-आखिर भी तेरा नाम आया

ज़िंदगी तेरे तसव्वुर से अलग रही न सकी
नगमा कोई हो मगर साज़ यही काम आया

हम पे ऎसी भी गम-ऐ-इश्क में रातें गुज़रीं
जब तक आंसू न बहे, दिल को न आराम आया

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