डबडबा आयी वो ऑंखें जो मेरा नाम आया
इश्क नाकाम सही फिर भी बहुत काम आया
लज्ज़त-ऐ-मर्ज-ऐ-मोहब्बत कोई उस से पूछे
जिसके लब पर दम-ऐ-आखिर भी तेरा नाम आया
ज़िंदगी तेरे तसव्वुर से अलग रही न सकी
नगमा कोई हो मगर साज़ यही काम आया
हम पे ऎसी भी गम-ऐ-इश्क में रातें गुज़रीं
जब तक आंसू न बहे, दिल को न आराम आया
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