Friday, May 6, 2011

तुम नहीं, ग़म नहीं, शराब नहीं,
ऐसी तन्हाई का जवाब नहीं.

गाहे बगाहे इसे पढ़ा कीजिये,
दिल से बेहतर कोई किताब नहीं .

जाने किस किस की मौत आई है,
आज रुख पे कोई नक़ाब नहीं.

वो करम उँगलियों पे गिनते हैं,
जुल्म का जिनको कुछ हिसाब नहीं|

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